Wednesday, October 10, 2007

विश्व भोजपुरी सम्मेलन

आँठवा विश्व भोजपुरी सम्मेलन के आयोजन ४-६ अक्तूबर 2007 के काशी हिंदु विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन मे आयोजित भइल रहे।तीन दिन के ई सम्मेलन मे बहुत तरह के कार्यक्रम के आयोजन भइल रहे।

एह सम्मेलन के उदघाटन ४ अक्तूबर के दिन मे ११ बजे भइल रहे जेहमे सभाध्यक्ष रहनी माननीय डा ० पंजाब सिंह जी {कुलपति काशी हिंदु विश्व विद्यालय },विशिष्ट अतिथि रहनी श्री सतीश त्रिपाठी जी जे कि अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हईं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के। इहां के मुम्बई से आइल रहीं। मुख्य अतिथि के तौर पर भारत मे मारीशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी रहनी।

एह सम्मेलन के उदघाटन मे सबसे पहिले B H U के छात्रा लोग स्वागत गान प्रस्तुत कईल, ओकरा बाद श्री अरुनेश निरन जी जे अंतर्राष्ट्रीय विश्व सम्मेलन के महासचिव हईं, स्वागत भाषण देहनी। श्री अरुनेश निरन जी एह समारोह के संयोजक ओर संचालक भी रहीं।

उदघाटन समारोह मे विशिष्ट अतिथि लोग भी आपन आपन वक्तव्य प्रस्तुत कईल हा। जेहमे मुख्य रहीं
श्री अच्युतानंद मिश्र {कुलपति,माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्व विद्यालय }

श्री दुर्गा प्रसाद {पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार}

श्री सोम दत्त {अध्यक्ष,Temple fedration Mauritus}

एह समारोह के संचालिका रहनी डा ० नीरजा माधव।



स्वागत समारोह के बाद लगातार तीनो दिन छः गो विषय पर बतकही चलल। ई विषय रहे

१ बोली से भाषा "आँठवी अनुसूची के सवाल"

२ स्वतंत्रता संग्राम {१८५७-१९४७ } मे भोजपुरी क्षेत्र के योगदान

३ भोजपुरी पत्रकारिता; तब आ अब

४ पाठ्यक्रम मे भोजपुरी

५ विश्व पटल पर भोजपुरी

६ भोजपुरी लोक परम्परा; अपसंस्कृति आ अश्लीलता के चुनौती



एह छः गो विषय पर बहुते वक्ता लोग आपन आपन मत प्रस्तुत कइल लोग। हर दिन क्रम से दु गो बतकही भइल। एकरे बीच मे जलपान ओउर खान पान के भी उत्तम व्यवस्था रहे। रोज सान्झिखां मनोरंजक ओउर लोकरंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत कइल गइल। ४ तारीख के सांझ के कवी सम्मेलन भइल, जेहमे बहुत से कवी लोग आपन आपन रचना पढ़ल लोग। एहमे मुख्य कवी लोग रहे श्री अनिरुद्ध त्रिपाठी 'आशीष', अनिल ओझा 'नीरद', मनोज सिंह 'भावुक', मिथलेश गहमरी,प्रकाश उदय, डा ० बलभद्र, कुबेर नाथ मिश्र 'विचित्र', डा ० कमलेश राय, हरिराम दिवेदी इत्यादी। कई गो रचना के विषेश सराहना भी मिलल जेहमे प्रमुख रहे मनोज भावुक जी के

'शेर जाल मे फंस जाला त सियरो आखं देखावेला'

'बुरा वक्त जब आ जाला त आन्हरो राह बतावेला'

एह रचना के बाद हॉल मे उपस्थित दर्शक लोग के तरफ से फेरु से कुछ पढे के निहोरा भइल तब उहाँ के पढ़नी

'गोदी से ले के डोली, डोली से ले के अर्थी '

'इतने मे बा समूचा तस्वीर जिन्दगी के'

ओउर भी लोग के रचना के विषेश पसंद कईल गईल जैसे डा ० कमलेश राय के 'तुलसी चौरा के गीत'

ई कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहीं श्री राम जियावन दास 'बावला' ,अध्यक्षता कईले रहीं पंडित राम नवल मिश्र संयोजन ओउर संचालन करत रहीं अशोक दिवेदी जी।

५ तारीख के सान्झिखां प्रस्तुत कईल गईल एगो रंगारंग कार्यक्रम "नटरंग"जेकरा शीर्षक रहे "मेघदूत कि पूर्वांचल यात्रा" {भोजपुरी लोकगीतन पर आधारित ५० गो कलाकारन द्वारा प्रस्तुत विश्व विख्यात नृत्यनाटिका}

६ तारीख के दुगो बतकही के बाद समापन समारोह शाम ४ बजे आयोजित भईल। जेहमे माननीय डा० पंजाब सिंह जी कुछ देर खातिर आईल रहीं। मुख्य अतिथि रहीं पद्मभुसन डा० बिन्देश्वरी पाठक {संस्थापक, सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली}, मुख्य वक्ता रहीं डा० मैनेजर पांडे {पूर्व प्रोफेसर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली},विशिष्ट अतिथि लोग रहे
१ महामहिम श्री कृष्नेदत्त वैजनाथ {भारत मे सूरीनाम के राजदूत}
२ डा० वीरभद्र मिश्र {संकट मोचन पिठाधिश्वर}
३ प्रो० वागीश शुक्ल {आई आई टी नई दिल्ली }
धन्यवाद ओउर आभार वयक्त कैनी प्रो० राजकुमार {समन्वयक, आँठवा राष्ट्रीय अधिवेशन वाराणसी }
आख़िर मे भोजपुरी के सर्वोच्च सम्मान सेतु सर्वश्री दण्डीस्वामी विमला नन्द सरस्वती के प्रदान कईल गईल। जेहमे उंहा के २५००० रुपिया ओउर एक शाल द्वारा सम्मानित कईल गईल। इहाँ के ९६ बारिस के हईं। ओकरा बाद पंडित रामचन्दर दुबे अजेय जी के "भिखारी ठाकुर सम्मान" दिहल गईल।
शाम ६ बजे लोकरंग कार्यक्रम के प्रस्तुती भईल। जेहमे कजरी गायन पेश कईनी श्रीमती उर्मिला जी एवम पंडवानी गायन पेश कईनी विश्विख्यात गायिका तिजनबाई। एह कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि रहीं श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी {भारत मे मौरिसस के राजदूत} ई कार्यक्रम बहुत ही सुंदर ओउर रोचक रहे। एही बीच मे सिटी चैनल द्वारा एगो इन्टरव्यु के भी व्यवस्था रहे जेकरा खातिर पांच गो विद्वान लोग के एकजुट कईल गईल। ई लोग रहे
१ प्रो० मैनेजर पांडे
२ डा० अरुनेश निरण
३ श्री जगदीश गोवर्धन
४ श्री सोमदत्त
५ श्री मनोज सिंह भावुक
ई कार्यक्रम सात दिन तक देखावाल गईल।
ओउर एही तारें सम्पन्न भईल विश्व भोजपुरी सम्मेलन
"जय भोजपुरी"

Thursday, September 27, 2007

कविता --- बात ऐसे बढेला

बात त दिव्ज़ ह
दु बार जन्मेला

बात के जन्मदाता दु बेर कष्ट उठावेला
पहिले बात के पेट मे जन्मावेला
ओकरा बाद मुँह से उगिल देला
ऐसे ही बात बढेला

बात अगर पेट के पेटे मे रह जाई
त जन्मदाता के पेट खराब हो जाई
एहिसे उ सोचेला कि
काहे ना बात बढायी

बात के जब जन्म होला
त ओकर रूप वाक्य के होला
जब उ धीरे धीरे चलेला
त ओकरा पाँख जाम जाला
उ वाक्य से पद्य बन जाला
बात ऐसे ही बढेला

बात के लक्षण ई होला कि
केहू केहू से कुछ कहबो
ना करेला ओउर केहू जनला
बिना बाकियो ना रहेला
बात ऐसे ही बढेला

बात के गति बहुत तेज होला
शताब्दी फेल
एक से दु ,दु से चार मुँह पहुंच कर
बड़ी जल्दी मोटा जाला
बात ऐसे ही बढेला

घूम फिर के जब बात
गलती से कंही जन्मदाता
के पास पहुंचेला त उहो हैरान
एकरा के जन्म देहले रहनी
वाक्यांश
ई त घूम फिर , खा पी के
हो गईल गद्यांश

काश ऐसे पैसा बढीत
ऐसे ही रोजगार बढ़ीत
त कैसन रहित

Sunday, August 26, 2007

पीठ्ठा

सामग्री ;-

चावल के आटा -२ कटोरी
चना के दाल -१ कटोरी
जीरा - १ छोटा चम्मच
हल्दी -१/२ छोटका चम्मच
हरियर मरिचा - ३ गो
धनिया के पत्ता - २ चम्मच कतरल
लहसून-अदरक - १ छोटका चम्मच [पीसल]
प्याज - १ गो महीन कतरल
गरम मसाला - १/२ छोटका चम्मच
तेल - २ चम्मच
नून स्वाद के अनुसार

तरीका :--
चावल के आटा के गरम पानी से सान ली। चना के दाल के कम पानी से पीस ली।कढ़ाही मे तेल गरम कर के जीरा डाल दी। जब जीरा तरताराये लगे तब प्याज डाल दी। २-३ मिनट ले भुजी प्याज के ओकरा बाद ओहमे धनिया पत्ता छोड के सब चीज़ मिला दी। २-३ मिनट ले निमन से भुजी। अब पीसल दाल मिला दी। कुछ देर और भुज ली। अब धनिया पत्ता मिला के उतार ली। कुछ देर ठंडा होखे दी। अब सनालका चाउर के आटा के लोइया बना ली। ओकरा के कटोरी जैसन कर के ओहमे १ चम्मच दाल के भर दी। अईसे ही पुरा आटा के लोइया बना के दाल से भर के रख ली। ध्यान रहे कि कही से लोइया के मुहँ खुलल ना होखे। अब एगो देगची मे पानी खौलावे के रख दी।देगची के मुहं पर पतला कपडा बाँध दी। ओह्पर सब पीठा के रख दी। कवनो बरतन से तोप दी।१०-१५ मिनट पानी के खवले दी। आंच से उतार कर ओहिंगा रहे दी। ठंडा भैला पर चटनी के साथे परोसी।

चना के दाल के जगह खोवा ओउर नारियल भी भर के मीठा पीठा बन सकेला।

Tuesday, August 21, 2007

बिछी मारला पर

गांव नगर मे अक्सर लोग के बिछी मार देला। एह मे बहुत पीरा होला। जवना जगह बिछी मरले रहेला ओहिजा बहुत जलन होला, झनझनाहट होला सुई चुभे जैसन दर्द होला।ई दर्द बहुत तेजी से उपर चढेला। एकर कुछ राम बाण इलाज़ बतावत बानी।
१ फिटकरी सबसे उपयोगी दवा ह। सिलवट के बढिया से साफ करके फिटकरी के चंदन लेखा घिसी तन्नी सा पानी डाल के. जहंवा बिछी मरले बा ओहिजा ई लेप लगा के सेक दी।

२ फिटकरी के तनी गरम कईला पर उ गले लागेला। जब गले लागे त ओकरा के डंक वाला जगह पर चिपका दीं। उ चिपक जाई और पुरा जहर चुसला पर अपने आप छोड़ दी।

३ कभी कभी ना पता चलेला कि बिछी कहंवा मरले बिया खासकर राती खान। और जब तक जगह पर दवाई ना लगे तब तक ओकर असर भी सही ना होला।एह से एगो दोसर इलाज़ ई बा कि सेंधा नमक के तीन गुना पानी मे घोर के रख दी। जेकरा बिच्छू मरले होके ओकरा आँखी मे सलाई से ई पानी लगाईं तुरत जहर उतरल सुरु हो जाई।

४ सेंधा नमक के पीस के कटल प्याज से उठा के डंक वाला जगह पर मलला से भी जहर और डंक दुनू दूर होला।

Wednesday, August 8, 2007

हरल भरल चटनी

सामग्री :-
पुदीना -१/२ कप महीन कतरल
निम्बू के रस -२-३ चम्मच
हरियर मरिचा - २-३
चीनी - १ चम्मच
नून स्वाद के अनुसार

बनावे के तरीका:-
निम्बू के रस छोड के सब समान के एक साथे पीस ली। एक कटोरी मे निकाल के निम्बू के रस निमन से मिला ली। लिट्टी आउर निम्की के साथे परोसी।

Friday, August 3, 2007

चोखा आउर चटनी

चोखा
सामग्री :-
आलू -४
प्याज -१ बड़ा महीन कतरल
हरियर
मरिचा -२ गो महीन कतरल
लहशुन
-५ जावा महीन कतरल
धनिया पत्ता - १/२ कटोरी महीन कतरल
नून - स्वाद के अनुसार
सरसो
तेल - २ चम्मच

तरीका:-
आलू
के उसीन ली। अब ओह मे सब समान मिला दी। खूब निमन से सान दी। हो गइल चोखा तैयार।

चटनी
सामग्री :-

धनिया -१ गुच्छा (तकरीबन २०० ग्राम)
लहसुन -१ पुरा (तकरीबन ५० ग्राम)
हरिअर मरिचा -३से ४
खटाई स्वाद अनुसार
नून स्वाद अनुसार
सरसों तेल - २ चम्मच

विधि
सब चीज़ मिला के पीस ली । ऊपर से सरसों तेल मिला ली। हो गइल चटनी तैयार।







Thursday, August 2, 2007

लिट्टी

सामग्री:-

आटा -१/२ किलो
घी -१/२ करछुल
नून -२ चुटकी

भरे खातिर :-
बुंट के सतुवा -१५० ग्राम
अदरक - १ टुकडा [२ इंच के]
लहसुन - १ पुरा
अचार के मसाला - १ मरिचा के पुरा
खटाई - १ निम्बू के रस चाहे आम्चुर १ छोटा चम्मच
हरियर मरिचा -स्वाद के अनुसार
धनिया के पत्ता १/२ कटोरी महीन कतरल
प्याज -२गो बड़का
सरसो के तेल -२ चम्मच
नून - स्वाद के अनुसार


बनावे के तरीका:-

आटा मे घी आउर नून मिलाके खूब कडा सान ली.अब प्याज, अदरक के कद्दुक्श कर ली। हरियर मरिचा आउर लहुसन के खूब महीन कतर ली। अब एगो बरतन मे सतुआ डाल के ओह पर सब मसाला डाल दी । नून आउर सरसो के तेल मिला के सान ली। आटा के छोट-छोट लोइया बना कर कटोरी के आकार दी। अब ओह कटोरी मे सतुवा १ चम्मच भर दी। कटोरी के मुँह बंद कर दी। अगर रउवा लगे तंदूर होखे त ओह मे सेक ली अगर ना त गोंईठाँ मिल सके त उहे जला कर निमना से सेक ली। चारु ओर से गुलाबी सेकाये के चाही।

लिट्टी के साथे चोखा आउर चटनी परोसाला.

Wednesday, August 1, 2007

बादाम के शरबत

सामग्री :-
१ /४ कप बादाम - रात भर के भिगावल
१/२ छोटका चम्मच - केवडा के सत
छोटकी इलैची - २गो
१/२ कप - चीनी
१ -१/२ कप - पानी
गुलाब के पंखुडी - सजावे खातिर

बनावे के तरीका:-
बादाम के महीन पीस ली। पानी,केवडा,इलैची आउर चीनी मिला कर बढिया से घोर दी।
अगर मिक्सी बा त ओही मे घोरी। छान के ठण्डा कर दी फ्रीज मे। गुलाब के पंखुडी से सजा कर परोसी।

आम के शरबत

सामग्री:-
कच्चा आम के गुदा ---२ कप
अदरक के रस --- २-३ बूंद
चीनी --- एक करछुल[१ टेबल स्पुन]
पुदीना के पत्ता ---२-३
नून आउर कालीमिर्च --- स्वाद के मुताबिक
निम्बू के रस --- ५ बूंद
बर्फ

बनावे के तरीका:-
आम के गुदा के मिक्सी आ चाहे सिलवट पर पीस ली। जग मे बर्फ डाल के आम के गुदा डाली ओह्मे नून,चीनी, कालीमिर्च के बुकनी, अदरक के रस आउर निम्बू के रस मिला दी। खूब बढिया से घोर दी। आउर ठंडे ठंडे गिलास मे परोस दी।

ई शरबत के अगर दोसरा बिधि से बनावे के बा त कच्चा आम के जगह पाक्लो आम लिया सकेला आउर चाहे त कांचे आम्वा के उसीन के भी बन सकेला।

Friday, July 27, 2007

भोजपुरी भाषा

भोजपुरी भाषा "बौध धर्म" के जैसन बा। ई केतना बड़ा विडम्बना बा कि बिहार के पैदाइश बौध धर्म और भोजपुरी भाषा के अनुयायी आ कहल जाव कि माने या बोले वाला लोग बिहार या भारत मे बहुत कम लोग बा। जैसे बौध धर्म भारत के बहार श्रीलंका, मलेशिया, इन्दोनेसिया, चीन, जापान और तिब्बत मे जेतना प्रचलित बा ओतना भारत मे नइखे। वैसे ही भोजपुरी भाषा ह। ई जेतना बिहार में नइखे बोलल जात ओतना बिहार से बाहर दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई और भारत से बाहर मौरिसस, फीजी और जहाँ -जहाँ गिरमिटिया मजदूर लोग गईल ऊहा सबसे ज्यादा बोलल जाता।

ई भाषा त धान के जैसन बा जे उगल कहीँ उप्जल कहीँ। जरुरत बा एह के बढावा देवे के। भारत के भीतर एकर इतना प्रचार करे के कि दुगो बिहारी आपस मे भोजपुरी मे बतियावे मे लजाए ना। जबरदस्ती ना आव्ते हुए भी हिंदी के टांग तुरे से बच सके लोग। टुटल फुटल हिंदी बोलला से ज्यादा अच्छा बा निमन भोजपुरी बोलल। जब दुगो पंजाबी के पंजाबी बोले मे लाज नइखे लागत, दुगो मद्रासी के तमिल बोले मे लाज नइखे लागत त दुगो बिहारी भोजपुरी बोले मे काहे लजाए। इहे भाषा के प्रति झिझक भोजपुरी के डुबवलॅ बा। ना त जवन देश के संसद मे ३०% नेता बिहार और पुर्वी उत्तर प्रदेश से बाटे लोग ओ देश मे भोजपुरी भाषा के अइसन अपमान ?

भोजपुरी के नौजवान लोग के ई आपन दायित्व समझे के चाहीं कि अब से भी अपना भाषा के प्रति लोगन के बीच मे जागरूकता फैलाइं, खुद भी भोजपुरी मे बतियांई और भोजपुरी भाषा के एगो सम्मानीय भाषा के दर्जा दिलाई।

बेटी के मोल

बेटी के हत्या काहे होता। उ लोग बेकुफ ह जे बेटी के पेट मे ही खतम कर देता। आज के समाज पर नज़र दौरावाल जाव त बेटा के जन्म पर जेतना ख़ुशी मनावल जाता ओतने ओकर बियाह भईलापर घर मे कोहराम मच जाता। बियाह होखते बेटा लोग मेहरारू के अंचरा से बंधा जाता लोग। आ मेहरारू भी त केहू के बेटी होखे ले। ओकरा अपना माइ बाप से लगाओ होख्बे करेला त उ त अपन माइ बाप के सेवा करबे करी। आ बेटा के अपना मेहरारू से लगाव होला एह्से मेहरारू के खुश करे खातिर बेटा लोग चल देला अपना सास ससुर के सेवा मे। त फायदा त बेटीये के पैदा करे मे बा। जबसे बेटिया १०-१२ बरिस के होली सं तबे से माइ बाप के सेवा करे लागे ली सं। बेसी घर से बाहर आना जाना भी ना करे ली सं। स्कूल जैहें सं, घरे आइहन सं। टूशन जाए के बा त जैहन सं, घरे आइहन सं। बाक़ी ना बाहर कही आना न जाना। अगर कौनो लडकी मे विशेष कौनो गुन बा जैसे कि नाचना, गाना, बजाना आ चाहे खेले कुदे के त माइये बाप के साथे जैहन सं। अपन क्लास करिहं सं वापस घरे आइहन सं।

बाकी बेटा लोग बिहान होते ही माइ के मुडी पर चढ़ जाला लोग, माइ खाए के दे ओकरा बाद बबुआ कहवा गईलन केहू के पता नइखे। स्कूल गईले आ कि दोस्तन के साथे सिनेमा देखे गईलन आ कि कही आवारा गर्दी करतारन केहू नइखे जानत। घरे लौटी लोग त बुझाई कि एहसान करता लोग । कवनो काम कह दियाव त ऐसे करी लोग कि केतना बड़ा उपकार कईलन हां बबुआ। १०० गो मे कही ए गो निम्नो हो जाला लोग बाकी आज के जमाना मे बहुत कम। हमेसा बाप के मुडी पर सवार कि एह कम्पनी के जूता चाही त एह कम्पनी के पैंट चाही। महतारी बाप के उल्लू बनावे खातिर रोज रोजगार समाचार और प्रतियोगिता दर्पन कीनी लोग बाकी ससुरा सब पढी एको गो ना खाली ताखा पर धरात जाई। १२ वी के परीक्षा देला के बाद तीन चार साल पढ़ाई बंद। पूछ त जबाब मिली कि तैयारी कर तानी। अरे कवन चीज के तैयारी कर तार।

जैसे तैसे बीए,एम् ए कर के कही नौकरी लागी त बियाह के तैयारी शुरू हो जाई। बियाह हो जाई त बस माइ बाप के काम ख़त्म। अब त जे बा से बाबु आ उनकर मेहरारू। मेहरारू जौने रस्ते ले जाई ओही रस्ते बाबु जैहन। मेहरारू जब आपन माइ बाप के सेवा मे लागल रही त मेहरारू के खुश करे खातिर बबुओ लाग जैहन सास ससुर के सेवा मे।

तब फायेदा त बेटिये के जन्मौले मे बा नु। बेटी कुवारो मे सेवा करे ली सं आ बियाहो भईला पर। अपने त करबे करेलिसन अपना दुल्ह्वो से करवैहन सं। त काहे के बेटीयन
के मारल जाओ।

जहाँ तक वंश के चलावला के सवाल बा, आज के जमाना मे केहू से पुछल जाओ कि तू केकर वन्सज हव त मुश्किल से अपना दादा चाहे पर दादा के नाम बता पाई लोग। पांच पुश्त पिछे के पूछ के देख ली हज़ार मे से केहू एक आदमी ठीक ठाक बता पाई। अरे कवन राजा महाराजा के वंश बा जे बेटा ना होई त केहू राज पाट हड़प ली। समझदारी त एह मे बा कि बेटी जन्म ले तिया त लेवे दी। आ जब सब तरफ से सुख दे तिया त सुख भोगी। १०-१२ बरिस के होई तबे से रौवा के सुख देवे लगी और बुढ़ापा मे उ आ ओकर दूल्हा दुनू राउर सहारा आ कहल जाव कि बुढ़ापा के लाठी बनी लोग। मरला के बाद आज ले केहू ई बताव्ले बा कि के स्वर्ग मे गईल और के नरक मे। ई सब बकवास ह। स्वर्ग और नरक एहिजे धरती पर बा। जे सुख शांति से आपन जिन्दगी जी गईल से स्वर्ग के सुख भोग्लस और जे रोवत पीटता से नरक नु भोगता। सब जीव परमात्मा के बनावल ह। ओकर नास् करना परमात्मा के दुःख देना ह। कहल जाला कि भगवान के लाठी मे आवाज़ ना होला। बेटीन के भ्रूण हत्या के सज़ा बहुत लोग के मिलल बा अलग -अलग तरह से। बहुत लोग आज भी भुगत रहल बा। जौन डाक्टर ई हत्या करतारण सं ओह्नियो के भगवान के देल सजाय भुगत रहल बारन सं। बाक़ी आज के समाज के आदमी के आंख नइखे खुलत। बेटी के जन्म से दोहरा फाइदा उ लोग के नइखे लौकत।

कहल जाला :-

"बेटी के माँ रानी, बुढ़ौती मे भरे पानी "
ई ओह जमाना के बात हो गईल जब बेटा लोग 'श्रवण कुमार' होत रहे लोग। अब त

"बेटी के माँ रानी, बुढ़ौती मे महारानी"