Tuesday, July 28, 2009

नगीना फुआ ओउर रूबी भाभी

नगीना फुआ के त सभे केऊ चिन्हेला, आज हम रूबी भाभी के बारे में बताव तानी. रूबी भाभी लक्ष्मी काकी के पतोह हई. गरीब बाप के बेटी, कम दान-दहेज़ पर बियाहल.भला सास के कैसे पसंद परस. एहिसे काकी उनकर बड़ी दुर्गति करस . हमनी के ओह घरी लईका रहीं जा, स्कुल आवत-जात अ आसंहियों काकी के पतोह के प्रति प्रवचन अक्सराहे सुनी जा. बाकि रूबी भाभी कभी एक सबद ना बोलस. कई हाली हमनी के कोठा पर चढ़ के देखले बानी सन भाभी के पिटात. जुलुम दिन पर दिन बढ़ले जात रहे . एक दिन हमनी के सब लईकी सन मिल के फुआ के लगे गईनी जा . हलाँकि फुआ से कौनो बात छिपल ना रहे बाकि केहू के घरेलु मामला में नहींये पड़े के चाहीं. मगर जब पानी माथा के उपर से बहे लागो त का करे के चाहीं. आ ओह भी तब जब केहू के जान परान के बात होके. काहे की कुछ दिन से काकी रूबी भाभी के खाना-पीना भी बंद क देहले रही.इ बात कहीं छुपेला महल्ला में खुसुर-फुसुर होखे लागल.अब फुआ से ना बर्दाश भईल चहुंप गईली काकी किहाँ. फुआ इ बात त जानते रही की समझावला के कौनो असर त पड़ी ना उल्टे बात ओउर बिगड़ जाई. फुआ अपने बदनाम होखिहन से अलग.
फुआ लागली काकी के सुर में सुर मिलावे
फुआ- का हो लछमी कईसन बाडू
काकी- का कही ये नगीना इ पतोहिया जान ले ले बिया. मुअतो नईखे जे पीछा छुटो .
फुआ- काहे का कैइले बिया जे ओकरा के मुआवे में लागल बाडू
काकी- मुआईं ना त का करीं सुखले हाँथ झुलावत चल अईली. हमार बेटा एतना सस्ता रहे का. अभियों अपना बेटा के बियाह करेब नु लाखन में नोट बटोरब, एकरा पाके हमरा का मिलल .
फुआ- बात तू एकदम ठीक कह तारू. अब इ जेतना जिनिगी लिखा के ले आईल बिया ओतना त जियबे करी आ ओतना दिन त तहरा झेलाहीं के परी.
काकी- का करी हम की एकरा से पीछा छुटे
फुआ - एकर खाना -पीना बंद करा द
हमनी के अवाक इ फुआ का कहतारी एक दूसरा के मुहं ताके लगनी सन ,बाकि फुआ त फुआ हई उनका दिमाग में का चलता इ के जाने
काकी- उ त हम कईये देले बानी.
फुआ- (बड़का गो मुहं फार के) आही ए दादा तबो नईखे मुवत, का खिया के एकर बाप पोशले रहे एकरा के, त अब ना मुई , और अगर लछमी तू कहीं एकरा के जरावे- ओरावे के सोचत होखबू त भूल जैइअह काहे की जिनगी भर खातिर तू हूँ जेल में जातं पिसे चल जईबू.
काकी-त तू हीं बताव ना ए नगीना का करी हम एकर
फुआ- एगो काम कर एकरे से काहे ना ओतना पईसा निकल ल जेतना की एकरा बाप से खोजतारु.
काकी- उ कैसे
फुआ- देख महल्ला भर के स्कुल जाये ले सन इ ओहनी के टयूसनपढ़ा दिहल करी कमाईके कमाई और घर में तहरा आँखी के हजुरा भी रही
इ बात काकी के दिमाग में घुस गईल ओउर उ तैआर हो गईली. हो गईल फुआ के मनोकामना पूरा . अब फुआ के दिमाग देखीं जौन जौन लईकी टयूसन जाये लागली सन भाभी से पढ़े उनकर माँ के एगो जिम्मेदारी धरा अईली. आ महल्ला के सब लोग फुआ के साथे हो गईल. अब हमनी के कुछ लईकी भोर में जाइन जा ओउर कुछ लईकी संझिनखन. हमरा अभी भी मन परेला की माँ टयूसन जाये के बेर दू गो पर्वाथा ओउर भुजिया देस आ कहस की पहिले भाभी के खिया दिह तब पढिये . भाभी बेचारी हबर हबर खास ताले हमनी के उनका कोठारिया के केवांडी पर चोवकिदारी करी सन जब भाभी खा लेस त पढीं सन .
कहल जाला' हंसले घर बसेला' काकी कतनो पर्यास कईली बाकि उनकर पतोह ना मरली आज पनरह बारिस के बाद भी रूबी भाभी फुआ के एतना मानेली की गोड्वो धो के पिए के तयिआर. इ बात और बा की जब लछमी काकी जनली त फुआ और महल्ला के लोग से बोलचाल बंद क देहली और हमनी के पढ़ल भी छुट गईल लेकिन तब तक रूबी भाभी के घर बस गईल रहे उनका दू गो बेटा हो गईल रहे भइया भी भाभी के समझ गईल रहलन.
रौआसभे त जानते बानी की फुआ के महल्ला में केहू दुखी होखे इ फुआ से ना बरदास होला. आज फुआ के एगो छींकभी आवेला त रूबी भाभी सबसे पाहिले दौरेली .
--
रश्मि सिन्हा

Saturday, July 25, 2009

व्याकरण की समस्या

मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे । आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली कॊ ।

नोकरी मिल गयी है हमारी गाय को । बछडा दिया है दादाजी ने । शराब की लत लगा ली है मैने । तुमको बहुत

खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे । भेडीया खा गया दो महीने का राशन । छुट्टी पर आते समय ले

आना एक खुबसुरत औरत । मेरी सहेली बन गई है । और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी ।

बेच दी गयी है तुम्हारी मां । तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन । हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन ।

सिर दर्द मे लेटी है तुम्हरी पत्नी

Saturday, June 27, 2009

नगीना फुआ

नगीना फुआ महल्ला के सबसे पुरनिया बुढ हई. इनका लगे सब समस्या के हल रहेला. आउर जवन ऊ कह देस उ सबका मानहू के पड़ेला. मजबूरी से नाहीं, खुशी से. काहे कि उनकरा बात में बहुते दम होला. समस्या उनका साथे इहे बा की लईका उनका के पटा के आपन जरूरत अपना महतारी बाप से पूरा करवा लेवेंले सन. सयान लड़किन के त फुआ जान हई. फुआ के रहते मजाल बा कवनो लडिका आँख उठा के देख जाओ. नगीना फुआ धारावाहिक में अपने सबन के मिलल करी नगीना फुआ के नया-नया कारनामा. पढ़त रहीँ आ अगिला कड़ी के इंतज़ार करत रही.

नगीना फुआ का लगे सब समस्या के समाधान रहेला, ई त सब केहू जानेला. अब आज मुहल्ला में खुसुर-फुसुर होत रहे की दुधवा वाला ए घरी बेसी पानी मिलाव तारन सs. बस बात पड़ गईल फुआ के कान में. निकल चलली फुआ महल्ला में सबका से पूछे. सब कोई इहे कहल की हँ ए फुआ, बड़ा दुःख बा. बुझाते नइखे की दूध में पानी मिलावऽ तारन सन की पानी में दूध! नवकी पतोहियन के बेसी दुख रहे कि लइकन के पियावे लोग का. फुआ सब कर सुनली आउर घरे लवट अइली. थोड देर ले माथा धऽ के बइठ गइली. फेर फ़ोन लगवली अपना बेटा के दिल्ली. बेटा से कहली की, रे बेटा अईसन कवनो मशीन होइत नु जे ई बता दीत कि दूध में कतना पानी बा आ कतना दूध, त एह दूध वालन के हम छठियार के दूध याद दिवा दितीं.

बेटा कहलन, हाँ रे माई, बा नु एगो मशीन (लक्टोमीटर) जेकरा से ई पता लगावल जाला कि दूध में केतना पानी बा आ कतना दूध. रहऽ, हम कीन के भेज देत बानी. अन्हरा के का चाहीं. दू गो आँख! मिल गईल फुआ के हथियार. कुछ दिन में मशीनिया आइयो गइल. अब फुआ चलली फेरु महल्ला घुमे. कवनो राय- सलाह क अईली. भोरे अइलन सन दुनु दूध वाला, त पूरा महल्ला के लोग कह दिहल की आज सबकर दूध फुए लिहन. ओकनी के हरान कि भाई बात का ह? गइल लोग फुआ के दुआरी त देखल कि ओहिजा त फुआ तयारी क के इन्तजारे करत रहली इ लोग के. पहिले त बड़ी प्रेम से बतियवली फेर लगली ओह लोग के धोवे. दुनू में से कवनो मनबे ना कर सन की दूध में पानी बा. फुआ एतना समुझवलि, बाकि ओहनी के मनबे न कर सन. धीरे-धीरे पूरा महल्ला एकट्ठा हो गइल. तब फुआ निकलली आपन मशीन. डाल दिहली सबका सामने दूध के ड्रम में. ओहममें त आधा से जादा पानी. अब त दूध वालन के हालत ख़राब. जाओ त कहाँ जाओ लोग? महल्ला के सब लोग घेर लिहल आ लागल लोग मारे. गिर गइलन सन दुनू फुआ के गोड़ पर. माफ़ी मगले सन आ तब से सुधर गइलन सन. ओकरा बाद महल्ला के लोग कबो पानी वाला दूध न पीअल

Thursday, June 11, 2009

साड़ी महिमा अपरम्पार

नारी बीच साड़ी बा, की
साड़ी बीच नारी बा।
नारी बा त साड़ी बा, की
साड़ी बा त नारी बा (ठीके कहल बा)
नारी और साड़ी एक दूसरा के पर्याय होला
नारी के सुन्दरता साड़ी में बढ़ जाला
ओकरा खातिर नर लोग के
पाकिट हल्का हो जाला।
जेतना परब बनावल बा
उ सब नारी के खातिर बा।
अब तीज करी त नारी
पहिरी नया साड़ी
जिउतिया करी त नारी
फेरु नया साड़ी
जब छठ करी त नारी
फेरु किनाई साड़ी।
कहल जाओ त नारी
ओह्कर बहुत आभारी
जे एतना परब बना गइल
आउर नया साड़ी के जुगाड़ बता गइल।
साड़ी के विषय में नारी के सामान्यज्ञान
बहुत सही रहे ला
उनकरा खूब मालूम रहेला की
मदरास में कांजीवरम
बनारस में बनारसी
राजस्थान में बांधनी
त कश्मीर में चिनोन भेटाला।
बाबु, भैया
पईसा मत देखिह लोग
मान ल हमार बात
अगर ना किनब लोगिन साड़ी
त होई अंसुवन के बरसात (जे ठीक ना कहाई)
काहे की
जवन घरे हँसे जनानी
तवन घरे बसे भवानी।
त बाबु लोग
जे अगर देखे के बा
सुखी घर संसार
त प्रेम से बोल
"साड़ी महिमा अपरम्पार"

Wednesday, October 10, 2007

विश्व भोजपुरी सम्मेलन

आँठवा विश्व भोजपुरी सम्मेलन के आयोजन ४-६ अक्तूबर 2007 के काशी हिंदु विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन मे आयोजित भइल रहे।तीन दिन के ई सम्मेलन मे बहुत तरह के कार्यक्रम के आयोजन भइल रहे।

एह सम्मेलन के उदघाटन ४ अक्तूबर के दिन मे ११ बजे भइल रहे जेहमे सभाध्यक्ष रहनी माननीय डा ० पंजाब सिंह जी {कुलपति काशी हिंदु विश्व विद्यालय },विशिष्ट अतिथि रहनी श्री सतीश त्रिपाठी जी जे कि अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हईं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के। इहां के मुम्बई से आइल रहीं। मुख्य अतिथि के तौर पर भारत मे मारीशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी रहनी।

एह सम्मेलन के उदघाटन मे सबसे पहिले B H U के छात्रा लोग स्वागत गान प्रस्तुत कईल, ओकरा बाद श्री अरुनेश निरन जी जे अंतर्राष्ट्रीय विश्व सम्मेलन के महासचिव हईं, स्वागत भाषण देहनी। श्री अरुनेश निरन जी एह समारोह के संयोजक ओर संचालक भी रहीं।

उदघाटन समारोह मे विशिष्ट अतिथि लोग भी आपन आपन वक्तव्य प्रस्तुत कईल हा। जेहमे मुख्य रहीं
श्री अच्युतानंद मिश्र {कुलपति,माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्व विद्यालय }

श्री दुर्गा प्रसाद {पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार}

श्री सोम दत्त {अध्यक्ष,Temple fedration Mauritus}

एह समारोह के संचालिका रहनी डा ० नीरजा माधव।



स्वागत समारोह के बाद लगातार तीनो दिन छः गो विषय पर बतकही चलल। ई विषय रहे

१ बोली से भाषा "आँठवी अनुसूची के सवाल"

२ स्वतंत्रता संग्राम {१८५७-१९४७ } मे भोजपुरी क्षेत्र के योगदान

३ भोजपुरी पत्रकारिता; तब आ अब

४ पाठ्यक्रम मे भोजपुरी

५ विश्व पटल पर भोजपुरी

६ भोजपुरी लोक परम्परा; अपसंस्कृति आ अश्लीलता के चुनौती



एह छः गो विषय पर बहुते वक्ता लोग आपन आपन मत प्रस्तुत कइल लोग। हर दिन क्रम से दु गो बतकही भइल। एकरे बीच मे जलपान ओउर खान पान के भी उत्तम व्यवस्था रहे। रोज सान्झिखां मनोरंजक ओउर लोकरंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत कइल गइल। ४ तारीख के सांझ के कवी सम्मेलन भइल, जेहमे बहुत से कवी लोग आपन आपन रचना पढ़ल लोग। एहमे मुख्य कवी लोग रहे श्री अनिरुद्ध त्रिपाठी 'आशीष', अनिल ओझा 'नीरद', मनोज सिंह 'भावुक', मिथलेश गहमरी,प्रकाश उदय, डा ० बलभद्र, कुबेर नाथ मिश्र 'विचित्र', डा ० कमलेश राय, हरिराम दिवेदी इत्यादी। कई गो रचना के विषेश सराहना भी मिलल जेहमे प्रमुख रहे मनोज भावुक जी के

'शेर जाल मे फंस जाला त सियरो आखं देखावेला'

'बुरा वक्त जब आ जाला त आन्हरो राह बतावेला'

एह रचना के बाद हॉल मे उपस्थित दर्शक लोग के तरफ से फेरु से कुछ पढे के निहोरा भइल तब उहाँ के पढ़नी

'गोदी से ले के डोली, डोली से ले के अर्थी '

'इतने मे बा समूचा तस्वीर जिन्दगी के'

ओउर भी लोग के रचना के विषेश पसंद कईल गईल जैसे डा ० कमलेश राय के 'तुलसी चौरा के गीत'

ई कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहीं श्री राम जियावन दास 'बावला' ,अध्यक्षता कईले रहीं पंडित राम नवल मिश्र संयोजन ओउर संचालन करत रहीं अशोक दिवेदी जी।

५ तारीख के सान्झिखां प्रस्तुत कईल गईल एगो रंगारंग कार्यक्रम "नटरंग"जेकरा शीर्षक रहे "मेघदूत कि पूर्वांचल यात्रा" {भोजपुरी लोकगीतन पर आधारित ५० गो कलाकारन द्वारा प्रस्तुत विश्व विख्यात नृत्यनाटिका}

६ तारीख के दुगो बतकही के बाद समापन समारोह शाम ४ बजे आयोजित भईल। जेहमे माननीय डा० पंजाब सिंह जी कुछ देर खातिर आईल रहीं। मुख्य अतिथि रहीं पद्मभुसन डा० बिन्देश्वरी पाठक {संस्थापक, सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली}, मुख्य वक्ता रहीं डा० मैनेजर पांडे {पूर्व प्रोफेसर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली},विशिष्ट अतिथि लोग रहे
१ महामहिम श्री कृष्नेदत्त वैजनाथ {भारत मे सूरीनाम के राजदूत}
२ डा० वीरभद्र मिश्र {संकट मोचन पिठाधिश्वर}
३ प्रो० वागीश शुक्ल {आई आई टी नई दिल्ली }
धन्यवाद ओउर आभार वयक्त कैनी प्रो० राजकुमार {समन्वयक, आँठवा राष्ट्रीय अधिवेशन वाराणसी }
आख़िर मे भोजपुरी के सर्वोच्च सम्मान सेतु सर्वश्री दण्डीस्वामी विमला नन्द सरस्वती के प्रदान कईल गईल। जेहमे उंहा के २५००० रुपिया ओउर एक शाल द्वारा सम्मानित कईल गईल। इहाँ के ९६ बारिस के हईं। ओकरा बाद पंडित रामचन्दर दुबे अजेय जी के "भिखारी ठाकुर सम्मान" दिहल गईल।
शाम ६ बजे लोकरंग कार्यक्रम के प्रस्तुती भईल। जेहमे कजरी गायन पेश कईनी श्रीमती उर्मिला जी एवम पंडवानी गायन पेश कईनी विश्विख्यात गायिका तिजनबाई। एह कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि रहीं श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी {भारत मे मौरिसस के राजदूत} ई कार्यक्रम बहुत ही सुंदर ओउर रोचक रहे। एही बीच मे सिटी चैनल द्वारा एगो इन्टरव्यु के भी व्यवस्था रहे जेकरा खातिर पांच गो विद्वान लोग के एकजुट कईल गईल। ई लोग रहे
१ प्रो० मैनेजर पांडे
२ डा० अरुनेश निरण
३ श्री जगदीश गोवर्धन
४ श्री सोमदत्त
५ श्री मनोज सिंह भावुक
ई कार्यक्रम सात दिन तक देखावाल गईल।
ओउर एही तारें सम्पन्न भईल विश्व भोजपुरी सम्मेलन
"जय भोजपुरी"

Thursday, September 27, 2007

कविता --- बात ऐसे बढेला

बात त दिव्ज़ ह
दु बार जन्मेला

बात के जन्मदाता दु बेर कष्ट उठावेला
पहिले बात के पेट मे जन्मावेला
ओकरा बाद मुँह से उगिल देला
ऐसे ही बात बढेला

बात अगर पेट के पेटे मे रह जाई
त जन्मदाता के पेट खराब हो जाई
एहिसे उ सोचेला कि
काहे ना बात बढायी

बात के जब जन्म होला
त ओकर रूप वाक्य के होला
जब उ धीरे धीरे चलेला
त ओकरा पाँख जाम जाला
उ वाक्य से पद्य बन जाला
बात ऐसे ही बढेला

बात के लक्षण ई होला कि
केहू केहू से कुछ कहबो
ना करेला ओउर केहू जनला
बिना बाकियो ना रहेला
बात ऐसे ही बढेला

बात के गति बहुत तेज होला
शताब्दी फेल
एक से दु ,दु से चार मुँह पहुंच कर
बड़ी जल्दी मोटा जाला
बात ऐसे ही बढेला

घूम फिर के जब बात
गलती से कंही जन्मदाता
के पास पहुंचेला त उहो हैरान
एकरा के जन्म देहले रहनी
वाक्यांश
ई त घूम फिर , खा पी के
हो गईल गद्यांश

काश ऐसे पैसा बढीत
ऐसे ही रोजगार बढ़ीत
त कैसन रहित

Sunday, August 26, 2007

पीठ्ठा

सामग्री ;-

चावल के आटा -२ कटोरी
चना के दाल -१ कटोरी
जीरा - १ छोटा चम्मच
हल्दी -१/२ छोटका चम्मच
हरियर मरिचा - ३ गो
धनिया के पत्ता - २ चम्मच कतरल
लहसून-अदरक - १ छोटका चम्मच [पीसल]
प्याज - १ गो महीन कतरल
गरम मसाला - १/२ छोटका चम्मच
तेल - २ चम्मच
नून स्वाद के अनुसार

तरीका :--
चावल के आटा के गरम पानी से सान ली। चना के दाल के कम पानी से पीस ली।कढ़ाही मे तेल गरम कर के जीरा डाल दी। जब जीरा तरताराये लगे तब प्याज डाल दी। २-३ मिनट ले भुजी प्याज के ओकरा बाद ओहमे धनिया पत्ता छोड के सब चीज़ मिला दी। २-३ मिनट ले निमन से भुजी। अब पीसल दाल मिला दी। कुछ देर और भुज ली। अब धनिया पत्ता मिला के उतार ली। कुछ देर ठंडा होखे दी। अब सनालका चाउर के आटा के लोइया बना ली। ओकरा के कटोरी जैसन कर के ओहमे १ चम्मच दाल के भर दी। अईसे ही पुरा आटा के लोइया बना के दाल से भर के रख ली। ध्यान रहे कि कही से लोइया के मुहँ खुलल ना होखे। अब एगो देगची मे पानी खौलावे के रख दी।देगची के मुहं पर पतला कपडा बाँध दी। ओह्पर सब पीठा के रख दी। कवनो बरतन से तोप दी।१०-१५ मिनट पानी के खवले दी। आंच से उतार कर ओहिंगा रहे दी। ठंडा भैला पर चटनी के साथे परोसी।

चना के दाल के जगह खोवा ओउर नारियल भी भर के मीठा पीठा बन सकेला।