Friday, July 27, 2007

भोजपुरी भाषा

भोजपुरी भाषा "बौध धर्म" के जैसन बा। ई केतना बड़ा विडम्बना बा कि बिहार के पैदाइश बौध धर्म और भोजपुरी भाषा के अनुयायी आ कहल जाव कि माने या बोले वाला लोग बिहार या भारत मे बहुत कम लोग बा। जैसे बौध धर्म भारत के बहार श्रीलंका, मलेशिया, इन्दोनेसिया, चीन, जापान और तिब्बत मे जेतना प्रचलित बा ओतना भारत मे नइखे। वैसे ही भोजपुरी भाषा ह। ई जेतना बिहार में नइखे बोलल जात ओतना बिहार से बाहर दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई और भारत से बाहर मौरिसस, फीजी और जहाँ -जहाँ गिरमिटिया मजदूर लोग गईल ऊहा सबसे ज्यादा बोलल जाता।

ई भाषा त धान के जैसन बा जे उगल कहीँ उप्जल कहीँ। जरुरत बा एह के बढावा देवे के। भारत के भीतर एकर इतना प्रचार करे के कि दुगो बिहारी आपस मे भोजपुरी मे बतियावे मे लजाए ना। जबरदस्ती ना आव्ते हुए भी हिंदी के टांग तुरे से बच सके लोग। टुटल फुटल हिंदी बोलला से ज्यादा अच्छा बा निमन भोजपुरी बोलल। जब दुगो पंजाबी के पंजाबी बोले मे लाज नइखे लागत, दुगो मद्रासी के तमिल बोले मे लाज नइखे लागत त दुगो बिहारी भोजपुरी बोले मे काहे लजाए। इहे भाषा के प्रति झिझक भोजपुरी के डुबवलॅ बा। ना त जवन देश के संसद मे ३०% नेता बिहार और पुर्वी उत्तर प्रदेश से बाटे लोग ओ देश मे भोजपुरी भाषा के अइसन अपमान ?

भोजपुरी के नौजवान लोग के ई आपन दायित्व समझे के चाहीं कि अब से भी अपना भाषा के प्रति लोगन के बीच मे जागरूकता फैलाइं, खुद भी भोजपुरी मे बतियांई और भोजपुरी भाषा के एगो सम्मानीय भाषा के दर्जा दिलाई।

बेटी के मोल

बेटी के हत्या काहे होता। उ लोग बेकुफ ह जे बेटी के पेट मे ही खतम कर देता। आज के समाज पर नज़र दौरावाल जाव त बेटा के जन्म पर जेतना ख़ुशी मनावल जाता ओतने ओकर बियाह भईलापर घर मे कोहराम मच जाता। बियाह होखते बेटा लोग मेहरारू के अंचरा से बंधा जाता लोग। आ मेहरारू भी त केहू के बेटी होखे ले। ओकरा अपना माइ बाप से लगाओ होख्बे करेला त उ त अपन माइ बाप के सेवा करबे करी। आ बेटा के अपना मेहरारू से लगाव होला एह्से मेहरारू के खुश करे खातिर बेटा लोग चल देला अपना सास ससुर के सेवा मे। त फायदा त बेटीये के पैदा करे मे बा। जबसे बेटिया १०-१२ बरिस के होली सं तबे से माइ बाप के सेवा करे लागे ली सं। बेसी घर से बाहर आना जाना भी ना करे ली सं। स्कूल जैहें सं, घरे आइहन सं। टूशन जाए के बा त जैहन सं, घरे आइहन सं। बाक़ी ना बाहर कही आना न जाना। अगर कौनो लडकी मे विशेष कौनो गुन बा जैसे कि नाचना, गाना, बजाना आ चाहे खेले कुदे के त माइये बाप के साथे जैहन सं। अपन क्लास करिहं सं वापस घरे आइहन सं।

बाकी बेटा लोग बिहान होते ही माइ के मुडी पर चढ़ जाला लोग, माइ खाए के दे ओकरा बाद बबुआ कहवा गईलन केहू के पता नइखे। स्कूल गईले आ कि दोस्तन के साथे सिनेमा देखे गईलन आ कि कही आवारा गर्दी करतारन केहू नइखे जानत। घरे लौटी लोग त बुझाई कि एहसान करता लोग । कवनो काम कह दियाव त ऐसे करी लोग कि केतना बड़ा उपकार कईलन हां बबुआ। १०० गो मे कही ए गो निम्नो हो जाला लोग बाकी आज के जमाना मे बहुत कम। हमेसा बाप के मुडी पर सवार कि एह कम्पनी के जूता चाही त एह कम्पनी के पैंट चाही। महतारी बाप के उल्लू बनावे खातिर रोज रोजगार समाचार और प्रतियोगिता दर्पन कीनी लोग बाकी ससुरा सब पढी एको गो ना खाली ताखा पर धरात जाई। १२ वी के परीक्षा देला के बाद तीन चार साल पढ़ाई बंद। पूछ त जबाब मिली कि तैयारी कर तानी। अरे कवन चीज के तैयारी कर तार।

जैसे तैसे बीए,एम् ए कर के कही नौकरी लागी त बियाह के तैयारी शुरू हो जाई। बियाह हो जाई त बस माइ बाप के काम ख़त्म। अब त जे बा से बाबु आ उनकर मेहरारू। मेहरारू जौने रस्ते ले जाई ओही रस्ते बाबु जैहन। मेहरारू जब आपन माइ बाप के सेवा मे लागल रही त मेहरारू के खुश करे खातिर बबुओ लाग जैहन सास ससुर के सेवा मे।

तब फायेदा त बेटिये के जन्मौले मे बा नु। बेटी कुवारो मे सेवा करे ली सं आ बियाहो भईला पर। अपने त करबे करेलिसन अपना दुल्ह्वो से करवैहन सं। त काहे के बेटीयन
के मारल जाओ।

जहाँ तक वंश के चलावला के सवाल बा, आज के जमाना मे केहू से पुछल जाओ कि तू केकर वन्सज हव त मुश्किल से अपना दादा चाहे पर दादा के नाम बता पाई लोग। पांच पुश्त पिछे के पूछ के देख ली हज़ार मे से केहू एक आदमी ठीक ठाक बता पाई। अरे कवन राजा महाराजा के वंश बा जे बेटा ना होई त केहू राज पाट हड़प ली। समझदारी त एह मे बा कि बेटी जन्म ले तिया त लेवे दी। आ जब सब तरफ से सुख दे तिया त सुख भोगी। १०-१२ बरिस के होई तबे से रौवा के सुख देवे लगी और बुढ़ापा मे उ आ ओकर दूल्हा दुनू राउर सहारा आ कहल जाव कि बुढ़ापा के लाठी बनी लोग। मरला के बाद आज ले केहू ई बताव्ले बा कि के स्वर्ग मे गईल और के नरक मे। ई सब बकवास ह। स्वर्ग और नरक एहिजे धरती पर बा। जे सुख शांति से आपन जिन्दगी जी गईल से स्वर्ग के सुख भोग्लस और जे रोवत पीटता से नरक नु भोगता। सब जीव परमात्मा के बनावल ह। ओकर नास् करना परमात्मा के दुःख देना ह। कहल जाला कि भगवान के लाठी मे आवाज़ ना होला। बेटीन के भ्रूण हत्या के सज़ा बहुत लोग के मिलल बा अलग -अलग तरह से। बहुत लोग आज भी भुगत रहल बा। जौन डाक्टर ई हत्या करतारण सं ओह्नियो के भगवान के देल सजाय भुगत रहल बारन सं। बाक़ी आज के समाज के आदमी के आंख नइखे खुलत। बेटी के जन्म से दोहरा फाइदा उ लोग के नइखे लौकत।

कहल जाला :-

"बेटी के माँ रानी, बुढ़ौती मे भरे पानी "
ई ओह जमाना के बात हो गईल जब बेटा लोग 'श्रवण कुमार' होत रहे लोग। अब त

"बेटी के माँ रानी, बुढ़ौती मे महारानी"