नारी बीच साड़ी बा, की
साड़ी बीच नारी बा।
नारी बा त साड़ी बा, की
साड़ी बा त नारी बा (ठीके कहल बा)
नारी और साड़ी एक दूसरा के पर्याय होला
नारी के सुन्दरता साड़ी में बढ़ जाला
ओकरा खातिर नर लोग के
पाकिट हल्का हो जाला।
जेतना परब बनावल बा
उ सब नारी के खातिर बा।
अब तीज करी त नारी
पहिरी नया साड़ी
जिउतिया करी त नारी
फेरु नया साड़ी
जब छठ करी त नारी
फेरु किनाई साड़ी।
कहल जाओ त नारी
ओह्कर बहुत आभारी
जे एतना परब बना गइल
आउर नया साड़ी के जुगाड़ बता गइल।
साड़ी के विषय में नारी के सामान्यज्ञान
बहुत सही रहे ला
उनकरा खूब मालूम रहेला की
मदरास में कांजीवरम
बनारस में बनारसी
राजस्थान में बांधनी
त कश्मीर में चिनोन भेटाला।
बाबु, भैया
पईसा मत देखिह लोग
मान ल हमार बात
अगर ना किनब लोगिन साड़ी
त होई अंसुवन के बरसात (जे ठीक ना कहाई)
काहे की
जवन घरे हँसे जनानी
तवन घरे बसे भवानी।
त बाबु लोग
जे अगर देखे के बा
सुखी घर संसार
त प्रेम से बोल
"साड़ी महिमा अपरम्पार"
8 comments:
Rashmi maza aa gaya apki kavita padhkar. aise hi jari rakhiye
kabhi mere bhi blog. manragini.blogspot.com par nazar daliyega.
साड़ी महिमा अपरम्पार
जवन घरे हँसे जनानी
तवन घरे बसे भवानी।
"साड़ी महिमा अपरम्पार"
Bahut badhiya kavita !!!
Rashmi jee,
namaskar !
raur kavita bahoot badhiya laagal. samay ke abhav se comment dewe me der hogail aasha ba ki der se hi sahi hamar comment jaroor swikar karem.
du shabd ke banal naari
duiye shabd ke banal sadi
chand se bhi sundar laage
jab naari lagawe sadi
dhanyabaad etna achha kavita padhe ke mauka dewe khatir.
Noor Alam Baadshah
from Nepal
गज़ब है।
अच्छा लगा...कह नहीं पा रहा हूं कि क्या?
पर कुछ है, जो बरबस ध्यान देने पर मजबूर करता है।
acha likti ho
raua sardi na pahenab ka
je kahi rauar sardi mahima aprampar ba
बाकिर केतना लोग के त साड़ी काटता!
बाग-बाग कर देने वाली साड़ी, गार्डन साडि़यां भी होती थीं शायद, वैसे अपने साड़ी सामान्य ज्ञान पर बिल्कुल भरोसा नहीं.
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