Saturday, June 27, 2009

नगीना फुआ

नगीना फुआ महल्ला के सबसे पुरनिया बुढ हई. इनका लगे सब समस्या के हल रहेला. आउर जवन ऊ कह देस उ सबका मानहू के पड़ेला. मजबूरी से नाहीं, खुशी से. काहे कि उनकरा बात में बहुते दम होला. समस्या उनका साथे इहे बा की लईका उनका के पटा के आपन जरूरत अपना महतारी बाप से पूरा करवा लेवेंले सन. सयान लड़किन के त फुआ जान हई. फुआ के रहते मजाल बा कवनो लडिका आँख उठा के देख जाओ. नगीना फुआ धारावाहिक में अपने सबन के मिलल करी नगीना फुआ के नया-नया कारनामा. पढ़त रहीँ आ अगिला कड़ी के इंतज़ार करत रही.

नगीना फुआ का लगे सब समस्या के समाधान रहेला, ई त सब केहू जानेला. अब आज मुहल्ला में खुसुर-फुसुर होत रहे की दुधवा वाला ए घरी बेसी पानी मिलाव तारन सs. बस बात पड़ गईल फुआ के कान में. निकल चलली फुआ महल्ला में सबका से पूछे. सब कोई इहे कहल की हँ ए फुआ, बड़ा दुःख बा. बुझाते नइखे की दूध में पानी मिलावऽ तारन सन की पानी में दूध! नवकी पतोहियन के बेसी दुख रहे कि लइकन के पियावे लोग का. फुआ सब कर सुनली आउर घरे लवट अइली. थोड देर ले माथा धऽ के बइठ गइली. फेर फ़ोन लगवली अपना बेटा के दिल्ली. बेटा से कहली की, रे बेटा अईसन कवनो मशीन होइत नु जे ई बता दीत कि दूध में कतना पानी बा आ कतना दूध, त एह दूध वालन के हम छठियार के दूध याद दिवा दितीं.

बेटा कहलन, हाँ रे माई, बा नु एगो मशीन (लक्टोमीटर) जेकरा से ई पता लगावल जाला कि दूध में केतना पानी बा आ कतना दूध. रहऽ, हम कीन के भेज देत बानी. अन्हरा के का चाहीं. दू गो आँख! मिल गईल फुआ के हथियार. कुछ दिन में मशीनिया आइयो गइल. अब फुआ चलली फेरु महल्ला घुमे. कवनो राय- सलाह क अईली. भोरे अइलन सन दुनु दूध वाला, त पूरा महल्ला के लोग कह दिहल की आज सबकर दूध फुए लिहन. ओकनी के हरान कि भाई बात का ह? गइल लोग फुआ के दुआरी त देखल कि ओहिजा त फुआ तयारी क के इन्तजारे करत रहली इ लोग के. पहिले त बड़ी प्रेम से बतियवली फेर लगली ओह लोग के धोवे. दुनू में से कवनो मनबे ना कर सन की दूध में पानी बा. फुआ एतना समुझवलि, बाकि ओहनी के मनबे न कर सन. धीरे-धीरे पूरा महल्ला एकट्ठा हो गइल. तब फुआ निकलली आपन मशीन. डाल दिहली सबका सामने दूध के ड्रम में. ओहममें त आधा से जादा पानी. अब त दूध वालन के हालत ख़राब. जाओ त कहाँ जाओ लोग? महल्ला के सब लोग घेर लिहल आ लागल लोग मारे. गिर गइलन सन दुनू फुआ के गोड़ पर. माफ़ी मगले सन आ तब से सुधर गइलन सन. ओकरा बाद महल्ला के लोग कबो पानी वाला दूध न पीअल

Thursday, June 11, 2009

साड़ी महिमा अपरम्पार

नारी बीच साड़ी बा, की
साड़ी बीच नारी बा।
नारी बा त साड़ी बा, की
साड़ी बा त नारी बा (ठीके कहल बा)
नारी और साड़ी एक दूसरा के पर्याय होला
नारी के सुन्दरता साड़ी में बढ़ जाला
ओकरा खातिर नर लोग के
पाकिट हल्का हो जाला।
जेतना परब बनावल बा
उ सब नारी के खातिर बा।
अब तीज करी त नारी
पहिरी नया साड़ी
जिउतिया करी त नारी
फेरु नया साड़ी
जब छठ करी त नारी
फेरु किनाई साड़ी।
कहल जाओ त नारी
ओह्कर बहुत आभारी
जे एतना परब बना गइल
आउर नया साड़ी के जुगाड़ बता गइल।
साड़ी के विषय में नारी के सामान्यज्ञान
बहुत सही रहे ला
उनकरा खूब मालूम रहेला की
मदरास में कांजीवरम
बनारस में बनारसी
राजस्थान में बांधनी
त कश्मीर में चिनोन भेटाला।
बाबु, भैया
पईसा मत देखिह लोग
मान ल हमार बात
अगर ना किनब लोगिन साड़ी
त होई अंसुवन के बरसात (जे ठीक ना कहाई)
काहे की
जवन घरे हँसे जनानी
तवन घरे बसे भवानी।
त बाबु लोग
जे अगर देखे के बा
सुखी घर संसार
त प्रेम से बोल
"साड़ी महिमा अपरम्पार"