Wednesday, October 10, 2007

विश्व भोजपुरी सम्मेलन

आँठवा विश्व भोजपुरी सम्मेलन के आयोजन ४-६ अक्तूबर 2007 के काशी हिंदु विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन मे आयोजित भइल रहे।तीन दिन के ई सम्मेलन मे बहुत तरह के कार्यक्रम के आयोजन भइल रहे।

एह सम्मेलन के उदघाटन ४ अक्तूबर के दिन मे ११ बजे भइल रहे जेहमे सभाध्यक्ष रहनी माननीय डा ० पंजाब सिंह जी {कुलपति काशी हिंदु विश्व विद्यालय },विशिष्ट अतिथि रहनी श्री सतीश त्रिपाठी जी जे कि अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हईं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के। इहां के मुम्बई से आइल रहीं। मुख्य अतिथि के तौर पर भारत मे मारीशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी रहनी।

एह सम्मेलन के उदघाटन मे सबसे पहिले B H U के छात्रा लोग स्वागत गान प्रस्तुत कईल, ओकरा बाद श्री अरुनेश निरन जी जे अंतर्राष्ट्रीय विश्व सम्मेलन के महासचिव हईं, स्वागत भाषण देहनी। श्री अरुनेश निरन जी एह समारोह के संयोजक ओर संचालक भी रहीं।

उदघाटन समारोह मे विशिष्ट अतिथि लोग भी आपन आपन वक्तव्य प्रस्तुत कईल हा। जेहमे मुख्य रहीं
श्री अच्युतानंद मिश्र {कुलपति,माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्व विद्यालय }

श्री दुर्गा प्रसाद {पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार}

श्री सोम दत्त {अध्यक्ष,Temple fedration Mauritus}

एह समारोह के संचालिका रहनी डा ० नीरजा माधव।



स्वागत समारोह के बाद लगातार तीनो दिन छः गो विषय पर बतकही चलल। ई विषय रहे

१ बोली से भाषा "आँठवी अनुसूची के सवाल"

२ स्वतंत्रता संग्राम {१८५७-१९४७ } मे भोजपुरी क्षेत्र के योगदान

३ भोजपुरी पत्रकारिता; तब आ अब

४ पाठ्यक्रम मे भोजपुरी

५ विश्व पटल पर भोजपुरी

६ भोजपुरी लोक परम्परा; अपसंस्कृति आ अश्लीलता के चुनौती



एह छः गो विषय पर बहुते वक्ता लोग आपन आपन मत प्रस्तुत कइल लोग। हर दिन क्रम से दु गो बतकही भइल। एकरे बीच मे जलपान ओउर खान पान के भी उत्तम व्यवस्था रहे। रोज सान्झिखां मनोरंजक ओउर लोकरंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत कइल गइल। ४ तारीख के सांझ के कवी सम्मेलन भइल, जेहमे बहुत से कवी लोग आपन आपन रचना पढ़ल लोग। एहमे मुख्य कवी लोग रहे श्री अनिरुद्ध त्रिपाठी 'आशीष', अनिल ओझा 'नीरद', मनोज सिंह 'भावुक', मिथलेश गहमरी,प्रकाश उदय, डा ० बलभद्र, कुबेर नाथ मिश्र 'विचित्र', डा ० कमलेश राय, हरिराम दिवेदी इत्यादी। कई गो रचना के विषेश सराहना भी मिलल जेहमे प्रमुख रहे मनोज भावुक जी के

'शेर जाल मे फंस जाला त सियरो आखं देखावेला'

'बुरा वक्त जब आ जाला त आन्हरो राह बतावेला'

एह रचना के बाद हॉल मे उपस्थित दर्शक लोग के तरफ से फेरु से कुछ पढे के निहोरा भइल तब उहाँ के पढ़नी

'गोदी से ले के डोली, डोली से ले के अर्थी '

'इतने मे बा समूचा तस्वीर जिन्दगी के'

ओउर भी लोग के रचना के विषेश पसंद कईल गईल जैसे डा ० कमलेश राय के 'तुलसी चौरा के गीत'

ई कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि रहीं श्री राम जियावन दास 'बावला' ,अध्यक्षता कईले रहीं पंडित राम नवल मिश्र संयोजन ओउर संचालन करत रहीं अशोक दिवेदी जी।

५ तारीख के सान्झिखां प्रस्तुत कईल गईल एगो रंगारंग कार्यक्रम "नटरंग"जेकरा शीर्षक रहे "मेघदूत कि पूर्वांचल यात्रा" {भोजपुरी लोकगीतन पर आधारित ५० गो कलाकारन द्वारा प्रस्तुत विश्व विख्यात नृत्यनाटिका}

६ तारीख के दुगो बतकही के बाद समापन समारोह शाम ४ बजे आयोजित भईल। जेहमे माननीय डा० पंजाब सिंह जी कुछ देर खातिर आईल रहीं। मुख्य अतिथि रहीं पद्मभुसन डा० बिन्देश्वरी पाठक {संस्थापक, सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली}, मुख्य वक्ता रहीं डा० मैनेजर पांडे {पूर्व प्रोफेसर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली},विशिष्ट अतिथि लोग रहे
१ महामहिम श्री कृष्नेदत्त वैजनाथ {भारत मे सूरीनाम के राजदूत}
२ डा० वीरभद्र मिश्र {संकट मोचन पिठाधिश्वर}
३ प्रो० वागीश शुक्ल {आई आई टी नई दिल्ली }
धन्यवाद ओउर आभार वयक्त कैनी प्रो० राजकुमार {समन्वयक, आँठवा राष्ट्रीय अधिवेशन वाराणसी }
आख़िर मे भोजपुरी के सर्वोच्च सम्मान सेतु सर्वश्री दण्डीस्वामी विमला नन्द सरस्वती के प्रदान कईल गईल। जेहमे उंहा के २५००० रुपिया ओउर एक शाल द्वारा सम्मानित कईल गईल। इहाँ के ९६ बारिस के हईं। ओकरा बाद पंडित रामचन्दर दुबे अजेय जी के "भिखारी ठाकुर सम्मान" दिहल गईल।
शाम ६ बजे लोकरंग कार्यक्रम के प्रस्तुती भईल। जेहमे कजरी गायन पेश कईनी श्रीमती उर्मिला जी एवम पंडवानी गायन पेश कईनी विश्विख्यात गायिका तिजनबाई। एह कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि रहीं श्री मुक्तेश्वर चुन्नी जी {भारत मे मौरिसस के राजदूत} ई कार्यक्रम बहुत ही सुंदर ओउर रोचक रहे। एही बीच मे सिटी चैनल द्वारा एगो इन्टरव्यु के भी व्यवस्था रहे जेकरा खातिर पांच गो विद्वान लोग के एकजुट कईल गईल। ई लोग रहे
१ प्रो० मैनेजर पांडे
२ डा० अरुनेश निरण
३ श्री जगदीश गोवर्धन
४ श्री सोमदत्त
५ श्री मनोज सिंह भावुक
ई कार्यक्रम सात दिन तक देखावाल गईल।
ओउर एही तारें सम्पन्न भईल विश्व भोजपुरी सम्मेलन
"जय भोजपुरी"

4 comments:

Anjoria said...

ई तऽ आधिकारिक व्यक्तव्य लेखा हो गइल बा. कुछ अलग से, कुछ बात-बेबात, कुछ कानाफूसी, कुछ अनकही-बतकही रहित तऽ मजा बढ़ जाइत.
तबहियों राउर प्रस्तुति बढ़िया बा.
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के फर्स्टहैण्ड रिपोर्ताज पेश करे खातिर धन्यवाद.
राउर
राठौर छपरहिया

vishnu said...

viswa bhojpuri sammelan ke dekh ke hamara bahut afasos bhayeel. yadi ee ayojan pahila baar bhayeel hokhit ta shayad utana dukh na bhayeel hot, lekin bada dukh ke sath kahe ke padat ba ki ee sammelan ke ayojan karta me indian part je bhi rahe sirf aapan gal bajawe wala rahe. kuchha apana purva parichit logan ke samane khada karake bhojpuri bhasha ke thekedar bane ke koshish ke shiva kuchha na ba.

koop manduk lekha acharan kareke bajay duniya se bahar aake vyapak dristi se dekhe ke jaroorat ba. ee aayojan ke sabase dukhad pahalu rahe akhiri din bhojpuri kalakaran ke sanskrit karyakram ke bajay teejan bai ke pandvani ke prastuti.

teejan bai ke kala per sawal nayeekhe balki ham ee kahe ke chahat bani ki bhojpuri bhasha ke uthan khatir banal manch se yadi sirf bhojpuri kalakaran ke parstuti hokhat ta ketana badhiya rahat. lekin sanchalak log ke paas ta sirf kuchha khas log hi ba. shayad sanchalak log sahity se jadal ba log ehi se oo logan ke sahitya warg ke alawa aur kuchha na dekhala aur uu logan ke yahi acharan koop manduk lekha sidh hot ba.

fir bhi karyakram ke rachanatmakata paksha (yadi sachmuch me kuchha ba) ke hum jaroor sarahana karat bani. waise ham ta eehe dekhalin han ki puran puran kavi log ke unha kehu nayeekhe poochat jinkar geet "babua bolata na" kauno samay me pura bhojpuri samaj me chayeel rahe. sabase bada dukhad pahalu ta ee rahe ki ee samachar ke ek sthaneey akhabar me chhape ke baad bhi agala din ee vishay me kehu sudhi lebe wala na rahe.

abhay tripathi

krishna said...

Abhay

buts lets be happy that something atleast happened..Its better than nothing for sure.. Nothing is perfect and so neither cna be this function..

regards
Krishna

vishnu said...

कृष्णा जी
क्षमा करेब कईला के नाम पर कुछुओ नइखे भईल बा। जवन भी भईल बा ओकर उदाहरण देबल जाव त थोड़ा ठीक ना लागी लेकिन आपके प्रतिक्रया के जवाब में ई बतावल जरुरी बा कि जवन भी भईल बा ओकरा के अइसे लिहल जा सकल जाला कि कुछ लोगन के मिले के बा तऽऽ मिलला के जगह के साफ सफाई जरुरी बा... तऽऽ बस इहै जानि कि मिले वाला लोग मीटिंग प्लेस के सफाई के काम कईले बा.. ऊऽऽ भी ठीक से ना। सिर्फ ई काम खातिर एतना बड आयोजन के कउनो औचित्य ना बा और सिर्फ यही काम खातिर केहु के कऊनो सराहना ना देहल जा सकल जाला काहे से कि एगो तऽऽ अधुरा काम और फिर अपना बइठे और मिले के जगह के सफाई के काम तऽऽ जानवर भि कर लेबे ले सन।

सिर्फ आपन गाल बजावे से काम चले लागे तऽऽ भोजपुरिया समाज के आज कउनो शिकायत होखबे ना करत अउर हमनी के सबसे प्रगतीशील समाज के मुखिया होखती सन...।

कृपया क्षमा करेब।

अभय