भोजपुरी भाषा "बौध धर्म" के जैसन बा। ई केतना बड़ा विडम्बना बा कि बिहार के पैदाइश बौध धर्म और भोजपुरी भाषा के अनुयायी आ कहल जाव कि माने या बोले वाला लोग बिहार या भारत मे बहुत कम लोग बा। जैसे बौध धर्म भारत के बहार श्रीलंका, मलेशिया, इन्दोनेसिया, चीन, जापान और तिब्बत मे जेतना प्रचलित बा ओतना भारत मे नइखे। वैसे ही भोजपुरी भाषा ह। ई जेतना बिहार में नइखे बोलल जात ओतना बिहार से बाहर दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई और भारत से बाहर मौरिसस, फीजी और जहाँ -जहाँ गिरमिटिया मजदूर लोग गईल ऊहा सबसे ज्यादा बोलल जाता।
ई भाषा त धान के जैसन बा जे उगल कहीँ उप्जल कहीँ। जरुरत बा एह के बढावा देवे के। भारत के भीतर एकर इतना प्रचार करे के कि दुगो बिहारी आपस मे भोजपुरी मे बतियावे मे लजाए ना। जबरदस्ती ना आव्ते हुए भी हिंदी के टांग तुरे से बच सके लोग। टुटल फुटल हिंदी बोलला से ज्यादा अच्छा बा निमन भोजपुरी बोलल। जब दुगो पंजाबी के पंजाबी बोले मे लाज नइखे लागत, दुगो मद्रासी के तमिल बोले मे लाज नइखे लागत त दुगो बिहारी भोजपुरी बोले मे काहे लजाए। इहे भाषा के प्रति झिझक भोजपुरी के डुबवलॅ बा। ना त जवन देश के संसद मे ३०% नेता बिहार और पुर्वी उत्तर प्रदेश से बाटे लोग ओ देश मे भोजपुरी भाषा के अइसन अपमान ?
भोजपुरी के नौजवान लोग के ई आपन दायित्व समझे के चाहीं कि अब से भी अपना भाषा के प्रति लोगन के बीच मे जागरूकता फैलाइं, खुद भी भोजपुरी मे बतियांई और भोजपुरी भाषा के एगो सम्मानीय भाषा के दर्जा दिलाई।
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1 comment:
एकदम सही। हमार तो कोशिश ईहे रहेला बाकिर कुछ लोग अइसन बा जे शहर में पहुँचतहीं हिन्दी-अंग्रेजी ध लेता।
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